क़ुरआन की सूरह तिन में अल्लाह तआला ने इंसान को बेहतरीन शक्ल में बनाने की बात कही। जानें कैसे हम अपनी सेहत और आत्मा को क़ुरआन-सुन्नत के रास्ते पर रखते हुए बीमारियों से बच सकते हैं और प्राकृतिक (natural) इलाज पा सकते हैं।
सूरह तिन (अंजीर), क़ुरआन की एक खूबसूरत और गहरी सूरत है, जिसमें अल्लाह तआला ने इंसान की असलियत और उसकी बेहतरीन बनावट का ज़िक्र किया है।
“لقد خلقنا الإنسان في أحسن تقويم”
“हमने इंसान को सबसे बेहतरीन शक्ल में पैदा किया है।” (सूरह तिन, आयत 4)
यह आयत हमें याद दिलाती है कि अल्लाह ने इंसान को ना सिर्फ़ शारीरिक रूप से बेहतरीन बनाया, बल्कि उसकी अक़्ल, दिल, रुह और उसकी क्षमताएँ (capabilities) भी बेहतरीन दीं।
🌸 इंसान: एक परफेक्ट मख़लूक़
जब हम इंसानी शरीर को देखते हैं, तो पाते हैं कि:
✅ हमारे पास सोचने के लिए दिमाग़ है।
✅ महसूस करने के लिए दिल है।
✅ काम करने के लिए हाथ-पाँव हैं।
✅ लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम है।
✅ और खुद को ठीक करने के लिए सेल्फ-हीलिंग पावर (self-healing power) दी गई है।
कहीं कट लग जाए तो घाव अपने आप भरता है, हड्डी टूट जाए तो जुड़ती है, बुख़ार आए तो शरीर खुद लड़ता है।
🛑 लेकिन क्यों बिगड़ता है सिस्टम?
अल्लाह ने इंसान को बेहतरीन बनाया, लेकिन साथ में कुछ शर्तें (terms and conditions) भी रखीं — जो क़ुरआन और सुन्नत में बता दी गईं।
✦ हलाल (जायज़) चीज़ें खाना
✦ हिफ़ाज़त से रहना
✦ ग़लत चीज़ों से बचना
✦ संतुलित जीवन जीना
जब इंसान इन अल्लाही हिदायतों (guidelines) को मानता है, तब वह बेहतरीन हालत में रहता है। लेकिन जैसे ही वह इनसे हटता है — गलत खानपान, ज्यादा स्ट्रेस, हराम चीज़ों का इस्तेमाल, ग़ैर-फ़ितरी लाइफ़स्टाइल — उसका सिस्टम बिगड़ने लगता है।
💉 डायबिटीज़ और शरीर का बिगड़ा संतुलन
जब हम कहते हैं कि हमें डायबिटीज़ हो गई, असल में इसका मतलब है कि हमारे शरीर का प्राकृतिक संतुलन (natural balance) बिगड़ गया। हमारा पैंक्रियाज़ इंसुलिन बनाना कम कर देता है या बंद कर देता है — यह इसलिए होता है क्योंकि हमने खानपान और लाइफ़स्टाइल में बड़ी ग़लतियाँ की होती हैं।
लेकिन अच्छी बात यह है कि अल्लाह ने हमारे शरीर में खुद को ठीक करने की ताक़त (healing power) रखी है।
अगर हम:
✅ अपनी लाइफ़स्टाइल को सुन्नत के मुताबिक ले आएँ,
✅ सही खानपान अपनाएँ,
✅ ग़लत आदतें छोड़ दें,
तो शरीर फिर से अपने आप को सही करने लगता है।
🌿 क़ुरआन और सुन्नत में इलाज और बचाव
क़ुरआन सिर्फ़ इबादत की किताब नहीं, बल्कि एक मुकम्मल रहनुमाई (complete guidance) है। इसमें हमारी सेहत, हमारे रिश्ते, हमारी रूहानियत — हर चीज़ के लिए रास्ता बताया गया है। सुन्नत में हमारे प्यारे नबी (ﷺ) ने भी खाने-पीने, चलने-फिरने, सोने-जागने, इलाज कराने, सफ़ाई रखने के तरीके सिखाए हैं।
अगर हम वापस उन्हीं हिदायतों की तरफ़ लौटें, तो न सिर्फ़ अपनी आत्मा (soul), बल्कि अपने शरीर (body) को भी तंदरुस्त रख सकते हैं।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
सूरह तिन हमें याद दिलाती है कि हम अल्लाह की सबसे बेहतरीन मख़लूक़ हैं। हमें अपनी इस खूबसूरती और बेहतरी की हिफ़ाज़त करनी चाहिए — और यह तभी मुमकिन है जब हम क़ुरआन और सुन्नत की राह पर चलें। जब तक हम उस रास्ते पर रहेंगे, हमारा शरीर और आत्मा दोनों सलामत रहेंगे।