Ayurvedic liver syrup

लिवर सिरप एक विशेष प्रकार का आयुर्वेदिक उत्पाद है जो शरीर के महत्वपूर्ण अंग, यानी की लिवर के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने और इसे सुधारने के लिए बनाया जाता है। लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो विभिन्न कारगर प्रक्रियाओं में सहायक होता है जैसे कि पाचन, रक्त शुद्धिकरण, और विभिन्न प्रकार के तत्वों का उत्पन्न होना।

लिवर सिरप में विभिन्न प्राकृतिक औषधियों, जड़ी-बूटियों, रसों, और अन्य उपयोगी तत्वों का संयोजन होता है जो लिवर के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने और इसकी क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह संयोजन अक्सर बिल्कुल प्राकृतिक होता है और इसमें अनुसंधान और विकसन के दौरान बनाया जाता है ताकि लिवर के साथ अच्छे संबंध बना रह सके।

AXN Liver tonic

  • Improves Appetite
  • Stimulates Liver Function

Useful

Infantile liver disorder 

Anorexia

Hepatitis

Jaundice and

Fatty infiltration of liver

Dose

Give 5 ml to children and 10 ml to adults two to three times a day or consult your doctor.

Ingredients सामग्री

पित्तपाड़ा

पित्तपाड़ा या फ्यूमिटोरी एक जड़ी-बूटी है जो पूरे भारत के मैदानी इलाकों में आम खरपतवार के रूप में पाई जाती है। यह पौधा गेहूं के खेत में पाया जाता है, इसकी लंबाई 5 से 20 सेमी तक होती है इसकी पत्तियां छोटे आकार की होती हैं और फूल लाल व नीले  रंग के होते हैं, यह सर्दियों के मौसम में गेहूं के खेत में अक्सर पाया जाता है , चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों में, यह पौधा अपने कृमिनाशक, मूत्रवर्धक, डायफोरेटिक, पित्तनाशक, पेटनाशक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटीडायबिटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीपायरेटिक, एनाल्जेसिक, त्वचाविज्ञान, रोगाणुरोधी, प्रजनन के लिए प्रतिष्ठित है। ये अपच और कंठमाला त्वचा संक्रमण, पेट में ऐंठन, दस्त, बुखार, पीलिया, कुष्ठ रोग और सिफलिस जैसी बीमारियों को प्रबंधित करने में मदद करते हैं।उर्दू में इसे शाहदरा कहा जाता है आयुर्वेद में इसका उपयोग पित्त या वात  के प्रकोप से होने वाले बुखार में किया जाता है,,

पित्तपापड़ा के फायदे

1 डायरिया

डायरिया को अतिसार के नाम से जाना जाता है। यह अनुचित भोजन, अशुद्ध पानी, विषाक्त पदार्थों, मानसिक तनाव और कमजोर पाचन अग्नि, के कारण होता है। बढ़ा हुआ वात शरीर के विभिन्न ऊतकों से आंतों में तरल पदार्थ लाता है और मल के साथ मिल जाता है जिससे पानी जैसा दस्त या दस्त हो जाता है। पित्तपाड़ा अपने अवशोषक गुण के कारण डायरिया के प्रबंधन में मदद करता है। यह पानी की अत्यधिक हानि को कम  करने में मदद करता है और मल की आवृत्ति को कम कर देता है।

2 एनोरेक्सिया

मंद अग्न के कारण, खाया गया भोजन ठीक से पच नहीं पाता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में विषाक्त अवशेष का निर्माण होता है। इस से एनोरेक्सिया या भूख न लगना हो सकता ह। यह एक ऐसी स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप वात, पित्त और कफ दोषों का असंतुलन होता है, जिससे पेट में गैस्ट्रिक रस का अपर्याप्त स्राव होता है, जिसके परिणामस्वरूप भूख कम हो जाती है। पित्तपाड़ा एनोरेक्सिया के प्रबंधन में मदद करता है। यह अमा के गठन को रोकने में मदद करता है और स्वाद में सुधार करता है।

3 उल्टी

पित्त और कफ दोष के असंतुलन के कारण उल्टी होती है। खान-पान की विभिन्न आदतों के कारण दोष असंतुलित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप अमा (अनुचित पाचन के कारण शरीर में विषाक्त अवशेष) का निर्माण होता है जिससे अपच होता है। पित्तपाड़ा अमा को कम करके और पाचन में सुधार करके उल्टी को नियंत्रित करने में मदद करता है।

4 अपच

यह पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। जब भी ग्रहण किया गया भोजन मंद अग्नि  के कारण बिना पचे रह जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप अमा  का निर्माण होता है और अपच का कारण बनता है। पित्तपाड़ा स्वाद को बेहतर बनाने में मदद करता है जो अग्नि को बढ़ाता है, जिस से पाचन में सुधार होता है।

5 रक्तशोधक एवं टोक्सिन नाशक

यह दूषित रक्त हो शुद्ध करता है एवं शरीर से टोक्सिन को बाहर निकालता है | अंग्रेजी दवाइयों के इस्तेमाल से होने वाले साइड इफेक्ट्स को दूर करने के लिए प्रयोग करना चाहिए | इसके इस्तेमाल से दवाइयों के गंभीर साइड इफेक्ट्स को भी कम किया जा सकता है | इससे रक्त शुद्ध होता है एवं साथ ही शरीर से टोक्सिन भी बाहर निकलते है 

इन्फेक्शन अर्थात संक्रमण

सभी प्रकार के इन्फेक्शन को ठीक करता है | अगर शरीर के अन्दर कोई इन्फेक्शन है या कोई घाव है तो इसका प्रयोग क्वाथ के रूप में करे | लीवर, किडनी, फेफड़े आदि के संक्रमण एवं आंतरिक घाव को भरने में भी यह चमत्कारिक परिणाम देता है

कुटकीKutki ( kadu)

कुटकी एक बारहमासी जड़ी बूटी और औषधीय पौधा है जो भारत के उत्तर-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र और नेपाल के पहाड़ी हिस्सों में उगता है। पौधे की पत्ती, छाल और भूमिगत भाग, मुख्य रूप से आयुर्वेद में उनके औषधीय गुणों के लिए किया जाता है।कुटकी का उपयोग मुख्य रूप से पीलिया जैसे यकृत विकारों के लिए किया जाता है, बार-बार आने वाला बुखार और वायरल हेपेटाइटिस में फायदा पहुंचाती है।  यह अपने एंटीऑक्सीडेंट और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुणों के कारण मुक्त कणों से होने वाली कोशिका क्षति से यकृत की रक्षा करता है।  इसके अर्क में कुटकिन होता है, जो लीवर के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को दबाकर लीवर की रक्षा करता है।   कार्डियोप्रोटेक्टिव गतिविधि के साथ यह एंटीऑक्सीडेंट गुण हृदय को होने वाले नुकसान को रोककर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। कुटकी से रोपन (उपचार) गुण और सीता (प्रकृति) के कारण स्टामाटाइटिस (मुंह के अंदर दर्दनाक सूजन) को प्रबंधित करने में मदद मिलती है। ( हालांकि, आपको स्वयं-चिकित्सा करने के बजाय डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।)

इसे विभिन्न नाम से जाना जाता है

जैसे  कवि, सुतिक्तका, कटुका, रोहिणी, कटकी, कुटकी, हेलेबोर, कडु, कटु, कटुका रोहिणी, कडुक रोहिणी, कालीकुटकी, कर्रू, कौर, कडुगुरोहिणी, करुकारोहिनी, पिक्रोरिजा कुरूआ, टिकटा, टिकटारोहिणी, कटुरोहिणी  इत्यादि

कुटकी के फायदे

1 खांसी

कुटकी कफ निस्सारक गुणों के कारण खांसी में मदद करती है। यह थूक के स्राव को बढ़ा कर बलगम को ढीला करने में मदद करता है, इससे सांस लेने में आसानी होती है और खांसी से राहत मिलती है।

2 हृदय की समस्या

कुटकी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो कार्डियोप्रोटेक्टिव गतिविधि दिखाते हैं। यह हृदय कोशिका क्षति के लिए जिम्मेदार मुक्त रेडियल से लड़ने में मदद करता है और हृदय समस्याओं को रोकता है।

3 किडनी

कुटकी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जिसके कारण यह मुक्त कणों से होने वाली कोशिका क्षति को रोकता है और किडनी की समस्याओं के लिए एक सुरक्षात्मक भूमिका प्रदान करता है।

4 बुखार

इसमें ज्वरनाशक गतिविधि होती है जिसके कारण यह शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है।

5 पीलिया

कुटकीमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गतिविधि होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो मुक्त कणों से होने वाली कोशिका क्षति से लीवर को सुरक्षा प्रदान करते हैं और पित्त उत्पादन में सुधार करते हैं।

अस्वीकरण :

सामग्री पूरी तरह से जानकारीपूर्ण और शैक्षिक प्रकृति की है। कृपया सामग्री का उपयोग किसी उपयुक्त प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के परामर्श से ही करें।

मकोय

मकोय में एंटी पायरेटिक गुण होते हैं जो दर्द से राहत दिलाने में आपकी मदद करते है।

मकोय (Makoi) का सेवन करने से बुखार दूर होता है।

यह भूख बढ़ाता है। 

मकोय से पीलिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

मकोय वाक, पित्त और कफ के दोष को खत्म करता है।

मकोय के फायदे

पुनर्नवा

पुनर्नवा पौधे में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो इसे ग्राम-पॉजिटिव,  ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया दोनों के कारण होने वाले बैक्टीरिया संक्रमण को कम करने  काम आता है .

पुनर्नवा जलन और सूजन को शांत कर सकते हैं। गुर्दे के विकारों में मूत्रवर्धक के रूप में किया जा सकता है और प्लीहा वृद्धि के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करता है । पेट के कीड़े और अस्थमा को दूर करने वाले कृमिनाशक गुण होते हैं। 

आंवला

आयुर्वेद में आमला को ‘अमृत फल’ कहा गया है, जिसका अर्थ है अमृत या अमरत्व का फल। इसे विभिन्न रोगों, विषाक्तता, बालों के स्वास्थ्य, चर्म रोग, श्वासरोग, और उच्च रक्तचाप के इलाज में उपयोग किया जाता है। आमला के सेवन से मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक्षमता मजबूत होती है और व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।

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