Benefits of Amlaआंवला के फायदे

आंवला, जिसे विज्ञानिक भाषा में ‘Emblica officinalis’ कहा जाता है, एक छोटे से पेड़ का फल है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण औषधीय फल है जिसे हिंदी में ‘आंवला’ और अंग्रेजी में ‘Indian Gooseberry’ कहा जाता है। आंवला विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों और उपयोगों के लिए जाना जाता है और इसे एक सुपरफूड के रूप में भी जाना जाता है।

आंवला का फल एक सांविदानिक रूप से उदार रंग का होता है और इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। इसमें विटामिन सी, ए, बी-कॉम्प्लेक्स, और अन्य कई औषधीय तत्व होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।

आंवला को ताजगी और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है और यह विभिन्न रोगों की रोकथाम में मदद कर सकता है। इसके बीजों, फलों, और पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों और उपचारों में किया जाता है। आंवला के तेल का भी उपयोग बालों और त्वचा के लिए किया जाता है।

आंवला भारतीय सांस्कृतिक और चिकित्सा परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यह एक सुपरफूड के रूप में आधुनिक जीवनशैली में भी प्रचलित है। आंवला न केवल स्वास्थ्य के लाभों के लिए बल्कि उच्च नुत्रिएंट्स के कारण भी महत्वपूर्ण है और इसे एक समृद्धि स्रोत के रूप में भी जाना जाता है। 

आयुर्वेद में आमला को ‘अमृत फल’ कहा गया है, जिसका अर्थ है अमृत या अमरत्व का फल। इसे विभिन्न रोगों, विषाक्तता, बालों के स्वास्थ्य, चर्म रोग, श्वासरोग, और उच्च रक्तचाप के इलाज में उपयोग किया जाता है। आमला के सेवन से मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक्षमता मजबूत होती है और व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।

आंवला के फायदे

आमला, जिसे विज्ञानिक भाषा में ‘Emblica officinalis’ कहा जाता है, एक बहुत गुणकारी आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जिसमें कई स्वास्थ्य लाभकारी गुण होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण चिकित्सकीय गुणकर्मों की चर्चा की गई है:

विटामिन सी स्रोत:

आमला एक अद्भुत विटामिन सी का स्रोत है, जो शरीर को मुक्ति दिलाता है और रोग प्रतिरोधक्षमता को बढ़ावा देता है।

ऑक्सीडेंट प्रदान करना:

आमला में पाए जाने वाले ऑक्सीडेंट्स शरीर को मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं और स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

शारीरिक और मानसिक तंतू स्थिति को सुधारना:

शारीरिक और मानसिक तंतू स्थिति को सुधारना: आयुर्वेदिक चिकित्सा में आमला को शारीरिक और मानसिक तंतू स्थिति को सुधारने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद गुण शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।

श्वासरोग में सहायक:

आमला को श्वासरोग जैसी श्वासनली संबंधित समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसमें श्वासनली को सुधारने वाले गुण होते हैं।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना:

आमला में मौजूद पोटैशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और हृदय स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

बालों और त्वचा के लिए उपयोगी:

आमला के तेल का उपयोग बालों को मजबूत और चमकदार बनाए रखने में और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में किया जा सकता है।

पाचन शक्ति बढ़ाने वाला:

आमला पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषण तत्व प्रदान कर सकता है।

रक्तशोधक गुण:

आमला का नियमित सेवन रक्तशोधक गुणों को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक

आमला में मौजूद औषधीय तत्वों का कहा गया है कि वे मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।

इन विशेष गुणों के कारण, आमला एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जो स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद कर सकता है। तथा इसे आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण रूप से सजग रहने वाला पौधा माना जाता है।

आंवले के फायदे बालों के लिए:

बालों को मजबूती प्रदान करता है:

आंवला में विटामिन सी, ए, और बी-कॉम्प्लेक्स होता है जो बालों की मजबूती को बढ़ाता है और उन्हें टूटने से रोकता है।

बालों की बढ़ाई में सहारा:

आंवला में प्राकृतिक विकास स्तर पर रहने वाले और बालों के बढ़ने में मदद करने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं।

सफेद बालों को काला करने में मदद करता है:

आंवला में मौजूद अंथोसियनिन्स से सफेद बालों को काला करने में मदद मिलती है।

बालों को रखता है मोटा और चमकदार:

आंवला बालों को मोटा और चमकदार बनाए रखने में मदद करता है, जिससे वे स्वस्थ और आकर्षक दिखते हैं।

बालों की रूक्षता को कम करता है:

आंवला बालों की रूक्षता को कम करता है और उन्हें मुलायम बनाए रखता है, जिससे उन्हें टैंगलिंग से बचाया जा सकता है।

खोजा गया है कि आंवला बालों के झड़ने को कम कर सकता है:

आंवले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स के कारण यह बालों के झड़ने को रोकने में मदद कर सकता है।

मोतियाबिंद के लिए आंवला क्या फायदा करता है

आंवला एक आयुर्वेदिक औषधि है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि नेत्रों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक हो सकता है। यहां आंवले के सेवन के नेत्रों के संबंधित स्वास्थ्य में कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

आंवला (अमला) के सेवन से आंखों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, खासकर कैटरैक्ट के मामले में। यहां आंवले के उपयोग से कैटरैक्ट से जुड़े फायदों का विवरण है:

  1. विटामिन सी का स्राव: आंवला में अधिक मात्रा में विटामिन सी होता है, जिससे आंखों की रक्षा में मदद हो सकती है। यह विटामिन कैटरैक्ट के खिलाफ रक्षा करने में सहायक हो सकता है।
  2. आंखों की रक्षा: आंवला में विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों को नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं, जिससे कैटरैक्ट की संभावना कम हो सकती है।
  3. नेत्र रोगों से बचाव: आंवला के अंतिऑक्सीडेंट गुण आंखों को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकते हैं और नेत्र रोगों के खिलाफ रक्षा कर सकते हैं।
  4. इंफ्लामेशन की कमी: आंवला में विटामिन सी के साथ-साथ अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो आंखों की सूजन और इंफ्लामेशन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे कैटरैक्ट की समस्या को कम किया जा सकता है।
  5. ब्लड सर्कुलेशन को सुधारना: आंवला आंखों की सही रक्षा के लिए ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में मदद कर सकता है और इससे कैटरैक्ट की बढ़ती संभावना को कम कर सकता है।
  6. आंतरिक आंवला से भरपूर: आंवला में विटामिन सी, ए, और अन्य कई आवश्यक गुण होते हैं जो नेत्रों की सुरक्षा करने में मदद कर सकते हैं। इन आंतरिक तत्वों की अच्छी मात्रा आंवला को एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट बनाती है जो आँखों को बचाने में सहायक हो सकता है।
  7. आँखों की रोशनी में सुधार: आंवला में मौजूद विटामिन सी नेत्रों की रोशनी को बनाए रखने में मदद कर सकता है और कैटरैक्ट जैसी समस्याओं से बचाव कर सकता है।
  8. एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा: आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स नेत्रों को रूक-रूक कर उन्हें कई प्रकार की इंफेक्शन और अन्य समस्याओं से बचाए रख सकते हैं।
  9. इंफ्लेमेशन को कम करना: आंवला आँखों के आसपास की सूजन और इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे नेत्रों का स्वास्थ्य बना रहता है।
  10. नेत्रों की दृष्टि को बचाव: आंवला नेत्रों की दृष्टि को बनाए रखने में मदद कर सकता है और बाधाओं को कम करके दृष्टि को सुधार सकता है।

आंवला : अपच में लाभकारी (Benefits for Indigestion)

आंवला एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो अच्छे पाचन को बढ़ावा देने और पेट से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकता है। यहां आंवले के सेवन के कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं जो पाचन समस्याओं के लिए हो सकते हैं:

  1. पाचन को सुधारें: आंवला में पाचन को सुधारने में मदद करने वाले एंजाइम्स होते हैं। इन एंजाइम्स की मदद से खाद्य पदार्थों को अच्छे से पचा जा सकता है, जिससे पेट से संबंधित समस्याएं कम हो सकती हैं।
  2. अपच को कम करें: आंवला में विटामिन सी, फाइबर, और अन्य पोषण तत्व होते हैं जो अपच को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  3. गैस और अम्लपित्त को दूर करें: आंवला गैस और अम्लपित्त जैसी पेट समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकता है। इसकी मदद से पाचन सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
  4. कब्ज़ को दूर करें: आंवला में फाइबर होती है जो ठीक से खाद्य पदार्थों को पाचन करने में मदद कर सकती है और कब्ज़ को दूर कर सकती है।
  5. पेट को ठंडक पहुंचाएं: आंवला पेट को ठंडक पहुंचाने में मदद कर सकता है और अधिक से अधिक पानी को आत्मसमर्पण से ठीक से अवशोषित करने में मदद कर सकता है।
  6. अच्छा पाचन प्रोत्साहित करना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जिससे खाद्य पदार्थों को शरीर द्वारा अच्छे से अवशोषित किया जा सकता है।
  7. आमाशय की सफाई करना: आंवला में अंतिऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आमाशय को साफ और स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
  8. गैस और एसिडिटी को कम करना: आंवला अच्छे पाचन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ गैस और एसिडिटी को भी कम कर सकता है।
  9. मल मूत्र के प्रवाह को सुधारना: आंवला का सेवन मल मूत्र के प्रवाह को सुधार सकता है, जिससे सही पाचन होता है और अपच की समस्याएं कम हो सकती हैं।
  10. विषमता और कब्ज से राहत प्रदान करना: आंवला का सेवन कब्ज, विषमता, और आपातकालीन पेट संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान कर सकता है।
  11. पेट को ठीक रखना: आंवला पेट को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और पाचन तंतुओं की सुरक्षा कर सकता है।

गले की खराश में फायदे (Benefits for Sore Throat)

आंवला एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है जिसमें विभिन्न गुण होते हैं जो गले की खराश या सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। यहां कुछ आंवले के सेवन के गले के रोगों में होने वाले लाभ हैं:

  1. विटामिन सी का स्रोत: आंवला में अधिक मात्रा में विटामिन सी होता है जो गले की सूजन और खराश को कम करने में मदद कर सकता है।
  2. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: आंवला में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से, यह गले में होने वाली सूजन को कम कर सकता है और दर्द को शांत कर सकता है।
  3. खांसी को राहत देना: आंवला खांसी को ठीक करने में मदद कर सकता है और गले में जमी कफ को बाहर निकालने में भी सहायक हो सकता है।
  4. बूस्टर इम्यून सिस्टम: आंवला शरीर की रोग प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे गले के संक्रमण को रोकने में सहायक हो सकता है।
  5. बैक्टीरिया और इंफेक्शन का नाश्ता: आंवला के एंटीबैक्टीरियल गुण गले के इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकते हैं और बैक्टीरियल संग्रहण को रोक सकते हैं।
  6. गले की सूजन को कम करना: आंवला गले की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है और गले के दर्द को शांत कर सकता है।
  7. गले की खराश को कम करना: आंवला गले में हुई खराश को शांत करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इंफेक्शन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
  8. सूजन को कम करना: आंवला में विषाणुनिष्ठ गुण होते हैं जो गले की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे गले का दर्द और इरिटेशन कम हो सकता है।
  9. इंफेक्शन से लड़ना: आंवला में एंटीऑक्सीडेंट्स और ऐंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इंफेक्शन को रोकने और इससे लड़ने में मदद कर सकते हैं।
  10. गले का दर्द को कम करना: आंवला गले के दर्द को कम करने में सहायक हो सकता है, क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और शांति प्रद गुण होते हैं।
  11. वायरल इंफेक्शन से बचाव: आंवला के सेवन से वायरल इंफेक्शनों से बचाव करने में मदद हो सकती है, क्योंकि इसमें बूस्ट करने वाले गुण होते हैं जो शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं।

नाक से खून बहने की समस्या (Amla Benefits for Epistaxis)

आंवला का सेवन नाक से रक्तस्राव (Epistaxis) के खिलाफ राहत प्रदान कर सकता है। यहां आंवले के इस विशेष उपयोग के कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

  1. रक्तस्राव को नियंत्रित करना: आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है, जो रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
  2. रक्तक्षरण को कम करना: आंवला का सेवन रक्तक्षरण को कम कर सकता है और नाक से रक्तस्राव को रोकने में मदद कर सकता है।
  3. इंफेक्शन से बचाव: आंवला में विषाणुनिष्ठ गुण होते हैं, जो नाक के क्षेत्र में इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं और संबंधित समस्याओं को कम कर सकते हैं।
  4. नाक के तंतुओं को मजबूती प्रदान करना: आंवला में पाए जाने वाले विटामिन और खनिज से युक्तियाँ नाक के तंतुओं को मजबूती प्रदान कर सकती हैं और रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।
  5. प्राकृतिक रूप से रक्तस्राव को ठंडा करना: आंवला शीतल गुणों से भरपूर होता है जो नाक क्षेत्र को ठंडा करके रक्तस्राव को नियंत्रित कर सकता है।
  6. रक्तसंचार को सुधारना: आंवला में विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है जो रक्तसंचार को सुधारने में मदद कर सकती है। यह नाक से खून बहने की समस्या को कम करने में सहायक हो सकता है।
  7. नसों को मजबूत करना: आंवला में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, और अन्य पोषण तत्व होते हैं जो नसों को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं, जिससे एपिसटैक्सिस की समस्या में आराम हो सकता है।
  8. रक्तशोधन को नियंत्रित करना: आंवला का सेवन रक्तशोधन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और इससे नाक से खून बहने को कम कर सकता है।
  9. इंफेक्शन से बचाव: आंवला में विटामिन सी और ऐंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो इंफेक्शन से बचाव करने में सहायक हो सकते हैं।
  10. रक्तप्रवाह को समायोजित करना: आंवला रक्तप्रवाह को समायोजित करने में मदद कर सकता है, जिससे नाक से खून बहने की समस्या को कम किया जा सकता है।

आईबीएस (संग्रहणी) रोग से राहत (Benefits for IBS Disease)

आंवला एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधि है जो आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome – IBS) जैसी पेट संबंधित समस्याओं में लाभकारी हो सकती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं जो आंवले को IBS के इलाज में मदद कर सकते हैं:

  1. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स, और विटामिन सी होता है, जो पेट स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
  2. अपच को कम करना: आंवला पेट में गैस, ब्लोटिंग, और अपच की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
  3. पेट में सूजन को कम करना: आंवला में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पेट की सूजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं, जिससे IBS के दौरान होने वाली तकलीफें कम हो सकती हैं।
  4. मल मूत्र की समस्याओं को ठीक करना: आंवला पेट संबंधित समस्याओं में मल मूत्र की समस्याओं को ठीक करने में मदद कर सकता है और सही पेट की स्वस्थता बनाए रख सकता है।
  5. पेट को शांति प्रदान करना: आंवला का सेवन करने से पेट को शांति मिलती है, जिससे IBS के कारण होने वाले तनाव को कम किया जा सकता है।
  6. पेट के मोतियाबंद से बचाव: आंवला में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जिससे पेट की मोतियाबंद से बचाव हो सकता है।
  7. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें फाइबर और आयरन की अच्छी मात्रा होती है जो आईबीएस के रोगी के लिए फायदेमंद हो सकती है।
  8. अपच से राहत प्रदान करना: आंवला अपच से राहत प्रदान कर सकता है और आईबीएस के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।
  9. आंतरिक सूजन को कम करना: आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आंतरिक सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे आईबीएस के रोगी को आराम मिल सकता है।
  10. मल समस्याओं को सुधारना: आंवला मल समस्याओं को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे आईबीएस के प्रभावित व्यक्ति को राहत मिल सकती है।
  11. आंतरिक लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ावा देना: आंवला आंतरिक लाभकारी बैक्टीरिया की बढ़त को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार हो सकती है और आईबीएस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

आंवला के कब्ज में फायदे ( Constipation)

आंवला पेट साफ करने और कब्ज से राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है। यहां आंवले के कब्ज से राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण लाभ हैं:

3-6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे कब्ज में लाभ मिलता है। 

  1. फाइबर से भरपूर: आंवला में अच्छी मात्रा में फाइबर होती है, जो पाचन को सुधारने में मदद करती है और मल को आसानी से बाहर निकालने में सहायक हो सकती है।
  2. पेट साफ करने में मदद: आंवला का सेवन पेट साफ करने में मदद कर सकता है और कब्ज से राहत प्रदान कर सकता है, क्योंकि इसमें पौष्टिक और आंतरिक सार्वजनिक गुण होते हैं।
  3. पेट को ठीक रखना: आंवला पेट को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और नियमित मल स्राव को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
  4. पाचन क्रिया को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य सारी तरह से अच्छे से अवशोषित होता है और कब्ज से बचा जा सकता है।
  5. अपच से राहत: आंवला अपच से राहत प्रदान कर सकता है और पेट की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
  6. बैक्टीरियल ग्रोथ को प्रोत्साहित करना: आंवला आंतरिक स्वस्थ बैक्टीरिया की ग्रोथ को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे पाचन सुधारता है और कब्ज को दूर करता है।
  7. पेट में सफाई करना: आंवला में अच्छी मात्रा में फाइबर होती है, जो पेट में मल की सफाई में मदद कर सकती है और कब्ज को दूर करने में सहायक हो सकती है।
  8. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य सामग्री का सही रूप से पाचन हो और मल का निर्माण होता है।
  9. आंतरिक लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ावा देना: आंवला में प्रोबायोटिक्स हो सकते हैं जो आंतरिक लाभकारी बैक्टीरिया की बढ़त को प्रोत्साहित करके पेट स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं।
  10. अपच से राहत प्रदान करना: आंवला अपच से राहत प्रदान कर सकता है और पेट संबंधित अन्य समस्याओं को भी कम कर सकता है।
  11. मल समस्याओं को दूर करना: आंवला मल समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है, जिससे पेट साफ और स्वस्थ रह सकता है।
  12. हाइड्रेशन बनाए रखना: आंवला में पाये जाने वाले पोटैशियम और आपकी पेट स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं और आपको अच्छे से हाइड्रेटेड रख सकते हैं।

आंवला के दस्त में फायदे ( Diarrhoea)

आंवला, जिसे अंग्रेज़ी में अमला कहा जाता है, दस्त (Diarrhoea) के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकता है, 10-12 ग्राम आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर, छाछ के साथ रोज सुबह-शाम सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है। यहां आंवले के दस्त से निजात पाने में मदद करने वाले कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

  1. आंतरिक सूजन को कम करना: आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आंतरिक सूजन को कम कर सकते हैं, जिससे दस्त में आराम मिल सकता है।
  2. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य सामग्री को सही रूप से पाचन किया जा सकता है और दस्त की समस्या को कम किया जा सकता है।
  3. इंफेक्शन से लड़ना: आंवला में विटामिन सी और अन्य पोषण तत्व होते हैं जो शरीर को इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकते हैं, जिससे दस्त की समस्या को दूर करने में मदद हो सकती है।
  4. एलेक्ट्रोलाइट्स की संतुलन स्थिति को बनाए रखना: आंवला एक्टिवली दस्त की वजह से खो जाने वाले एलेक्ट्रोलाइट्स को पुनर्स्थापित करने में मदद कर सकता है, जिससे शरीर की संतुलन स्थिति बनी रह सकती है।
  5. पानी की घातकता को कम करना: आंवला का सेवन दस्त के कारण हुई पानी की घातकता को कम कर सकता है और व्यक्ति को शीघ्र आराम प्रदान कर सकता है।
  6. आंतरिक इंफेक्शन से बचाव: आंवला में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण हो सकते हैं जो आंतरिक इंफेक्शन से बचाव में मदद कर सकते हैं।
  7. आंतों को स्वस्थ रखना: आंवला में फाइबर और पोटैशियम होता है जो आंतों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और डायरिया को कम कर सकता है।
  8. हाइड्रेशन बनाए रखना: आंवला में पाये जाने वाले पोटैशियम के कारण, यह हाइड्रेशन बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे डायरिया से होने वाले तकलीफ को कम किया जा सकता है।
  9. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य सामग्री का सही रूप से पाचन होता है और डायरिया को रोकने में मदद कर सकता है।
  10. विटामिन सी से सुधारना: आंवला में विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है, जो डायरिया के कारण होने वाली तकलीफ को कम करने में मदद कर सकती है।

पेचिश में आंवला के फायदे (Amla Benefits in Dysentery)

डायसेंट्री (Dysentery) के लिए  10-20 मिली आंवले के रस (amla juice benefits) में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिला लें। इसे पिएं, और इसके बाद 100 मिली बकरी का दूध पी लें। ऐसा दिन में तीन बार करें। पेचिश में लाभ होता है।

  1. आंतरिक सूजन को कम करना: आंवला में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंतरिक सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं और डायसेंट्री के कारण होने वाली तकलीफ को घटा सकते हैं।
  2. इंफेक्शन से लड़ना: आंवला आंतरिक इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें विटामिन सी और एंटीबैक्टीरियल गुण हो सकते हैं।
  3. पेट की सफाई करना: आंवला में फाइबर होती है, जो पेट की सफाई में मदद कर सकती है और डायसेंट्री के लक्षणों को कम कर सकती है।
  4. आंतरिक बैक्टीरिया को सुधारना: आंवला का सेवन आंतरिक बैक्टीरिया को सुधार सकता है, जिससे पेट स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद की जा सकती है।
  5. हाइड्रेशन बनाए रखना: आंवला में पाये जाने वाले पोटैशियम के कारण, यह हाइड्रेशन बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे डायसेंट्री से होने वाली तकलीफ को कम किया जा सकता है।
  6. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य सामग्री का सही रूप से पाचन होता है और डायसेंट्री को रोकने में मदद कर सकता है।
  7. आंतरिक इंफेक्शन से बचाव: आंवला में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण हो सकते हैं जो आंतरिक इंफेक्शन से बचाव में मदद कर सकते हैं।
  8. पेट को शांति प्रदान करना: आंवला में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स पेट को शांति प्रदान कर सकते हैं, जिससे डायसेंट्री से होने वाली तकलीफ को कम किया जा सकता है।
  9. पेट की सफाई करना: आंवला में फाइबर की मात्रा होती है जो पेट की सफाई को बढ़ा सकती है और मल में से कीटाणुओं को बाहर निकालने में मदद कर सकती है।
  10. पाचन को सुधारना: आंवला पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे खाद्य सामग्री का सही रूप से पाचन होता है और डायसेंट्री को रोकने में मदद कर सकता है।

एसिडिटी में आंवला के फायदे ( Benefits in Hyperacidity)

आंवला उच्च एसिडिटी (Hyperacidity) के खिलाफ एक प्राकृतिक उपाय हो सकता है। आंवले के 10 ग्राम बीजों को रात भर जल में भिगोकर रखें। अगले दिन गाय के दूध में बीजों को पीस लें। इसे 250 मिली गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे एसिडिटी में लाभ होता है। यहां आंवले के उच्च एसिडिटी से निजात पाने में मदद करने वाले कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

  1. मानसिक चिंता को कम करना: आंवला में विटामिन सी होता है जो मानसिक चिंता को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे उच्च एसिडिटी के कारण होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद हो सकती है।
  2. पेट को ठंडक पहुंचाना: आंवला पेट को ठंडक पहुंचाने में मदद कर सकता है, जिससे उच्च एसिडिटी के कारण होने वाली जलन और तकलीफ को कम किया जा सकता है।
  3. पाचन को सुधारना: आंवला में पाचन को सुधारने में मदद करने वाले एंजाइम्स हो सकते हैं, जिससे खाद्य सामग्री का सही रूप से पाचन होता है और एसिडिटी को कम किया जा सकता है।
  4. पेट से गैस को कम करना: आंवला में गैस को शांत करने के लिए उपयुक्त गुण हो सकते हैं, जिससे उच्च एसिडिटी से होने वाली तकलीफों को कम किया जा सकता है।
  5. पाचन शक्ति को बढ़ावा देना: आंवला में पाये जाने वाले पोटैशियम के कारण, यह पाचन शक्ति को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे उच्च एसिडिटी की समस्या को कम किया जा सकता है।
  6. मुक्ति प्रदान करना: आंवला में मौजूद आंटीऑक्सीडेंट्स एसिडिटी से होने वाले क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद कर सकते हैं और मुक्ति प्रदान कर सकते हैं।

बवासीर में लाभ ( Piles)

आंवला बवासीर (Piles) के इलाज में मदद कर सकता है।आँवलों को अच्छी तरह पीसकर एक मिट्टी के बरतन में (अन्दर की तरफ) लेप कर देना चाहिए। रोगी को इस बरतन में छाछ रखकर पीना चाहिए। इससे बवासीर में लाभ होता है, बवासीर में अधिक रक्तस्राव होता हो तो 3-8 ग्राम आंवला चूर्ण को दही की मलाई के साथ सेवन करें। ऐसा दिन में दो-तीन बार करें।

यहां आंवले के बवासीर से राहत पाने में मदद करने वाले कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

  1. आंतरिक सूजन को कम करना: आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आंतरिक सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे बवासीर की समस्या में राहत हो सकती है।
  2. रक्त संचार को सुधारना: आंवला में पाये जाने वाले पोटैशियम और अन्य पोषण तत्व रक्त संचार को सुधारने में मदद कर सकते हैं, जिससे बवासीर की समस्या को कम किया जा सकता है।
  3. कब्ज से राहत प्रदान करना: आंवला में फाइबर होती है, जो पाचन को सुधारकर कब्ज से राहत प्रदान कर सकती है, जिससे बवासीर की समस्या को शांत किया जा सकता है।
  4. पेट को स्वस्थ रखना: आंवला पेट को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और पाचन को सुधारकर बवासीर की समस्या में राहत प्रदान कर सकता है।
  5. आंतरिक सुरक्षा प्रदान करना: आंवला में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण हो सकते हैं, जो आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने में मदद कर सकते हैं, जिससे बवासीर की समस्या से राहत मिल सकती है।
  6. रक्त शोधन को बढ़ावा देना: आंवला रक्त शोधन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे बवासीर की समस्या में आराम हो सकता है।

डायबिटीज में फायदे ( Diabetes)

आंवला मधुमेह (Diabetes) को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसके लिए आंवला, हरड़, बहेड़ा,नागर मोथा, दारुहल्दी एवं देवदारु लें। इनको समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में सुबह-शाम डायबिटीज के रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।  यहां आंवले के मधुमेह से निजात पाने में मदद करने वाले कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

  1. इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाना: आंवला में विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है, जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ा सकती है और मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
  2. ब्लड शुगर को कंट्रोल करना: आंवला में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर कंट्रोलड ब्लड शुगर को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
  3. पैनक्रिएटिक बेटा कोशिकाओं को स्वस्थ रखना: आंवला में मौजूद फाइबर और न्यूट्रिएंट्स पैनक्रिएटिक बेटा कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे इंसुलिन उत्पन्न होने में मदद होती है।।
  4. अच्छे कोलेस्ट्रॉल स्तर को बनाए रखना: आंवला का सेवन अच्छे कोलेस्ट्रॉल स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे मधुमेह के साथ संबंधित हृदय समस्याएं कम हो सकती हैं।
  5. ब्लड शुगर को कंट्रोल करना: आंवला में विटामिन सी, फाइबर, और अन्य पोषण तत्व होते हैं जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
  6. ग्लाइसेमिक कंट्रोल: आंवला का सेवन करना ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करके ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।
  7. हाइपरग्लाइसीमिक इफेक्ट्स को कम करना: आंवला में मौजूद अंटीऑक्सीडेंट्स हाइपरग्लाइसीमिक इफेक्ट
  8. ब्लड शुगर को कंट्रोल करना: आंवला में फाइबर और अंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो ब्लड शुगर को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे मधुमेह का प्रबंधन हो सकता है।
  9. पैनक्रिएटिक को कमजोरी से बचाव: आंवला में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स पैनक्रिएटिक को कमजोरी से बचाव में मदद कर सकते हैं, जो इंसुलिन उत्पन्न करने में सहायक हो सकता है।
  10. ग्लूकोज अवशोषण को बढ़ावा देना: आंवला में पाये जाने वाले अमिनो एसिड्स ग्लूकोज का अवशोषण बढ़ा सकते हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
  11. पैनक्रिएटिक स्वास्थ्य को बनाए रखना: आंवला पैनक्रिएटिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है और इससे मधुमेह के प्रबंधन में सहायक हो सकता है।
  12. शरीर की ऊर्जा वितरित करना: आंवला शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मद

खुजली में आंवला का प्रयोग Use of Amla in itching

आंवला खुजली (Itching) से राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है। आंवले की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। इसमें नारियल का तेल  मिला ले। इसे गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है यहां आंवले के खुजली से राहत प्रदान करने में मदद करने वाले कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

  1. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: आंवला में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण खुजली को कम करने में मदद कर सकते हैं और त्वचा को शांति प्रदान कर सकते हैं।
  2. विटामिन सी की भरपूर मात्रा: आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे खुजली से राहत हो सकती है।
  3. एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर उपस्थिति: आंवला में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को मुक्त कर सकते हैं और इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं, जिससे खुजली कम हो सकती है।
  4. आंतरिक शोथ और सूजन को कम करना: आंवला के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंतरिक शोथ और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे खुजली में राहत हो सकती है।
  5. त्वचा को मोइस्चराइज़ करना: आंवला में पाये जाने वाले पोटैशियम और नारियाल तेल त्वचा को मोइस्चराइज़ कर सकते हैं, जिससे खुजली से राहत मिल सकती है।
  6. त्वचा को स्वस्थ रखना: आंवला में पाये जाने वाले विटामिन्स और मिनरल्स त्वचा को स्वस्थ और जीवंत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे खुजली से राहत हो सकती है।

आंवला (Amla) का त्वचा रोगों में लाभ:

  1. विटामिन सी से भरपूर: आंवला विटामिन सी का एक श्रेष्ठ स्रोत है, जिससे त्वचा की सुरक्षा में मदद होती है और रोगों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ती है।
  2. एंटीऑक्सीडेंट गुण: आंवला में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को मुक्त करने में मदद करते हैं, जिससे त्वचा को स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है।
  3. खुजली और इन्फ्लेमेशन को कम करना: आंवला में अन्टीइन्फ्लैमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की खुजली और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  4. रक्त सिरकुलेशन को बढ़ावा: आंवला रक्त सिरकुलेशन को बढ़ाने में सहायक हो सकता है, जिससे त्वचा को पोषण मिलता है और रोगों से लड़ने की क्षमता में सुधार होता है।
  5. पुराने दाग और दाद का इलाज: आंवला में विशेष गुण होते हैं जो त्वचा के पुराने दाग और दाद को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  6. त्वचा की रंगत को सुधारना: आंवला के नियमित सेवन से त्वचा की रंगत में सुधार हो सकता है और त्वचा को निखार और चमकीलाप्रद बना सकता है।
  7. त्वचा के लिए हाइड्रेटेड: आंवला में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व त्वचा को हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकते हैं और त्वचा को सुपले और मुलायम बना सकते हैं।

आंवला के जॉन्डिस में लाभ:

आंवला या भारतीय गूजबेर को जॉन्डिस (Jaundice) के इलाज में उपयोगी माना जाता है।

आंवले की चटनी बनाकर उसमें शहद मिला लें। इसका सेवन करने से लिवर विकार और पीलिया (amla ke fayde) में लाभ होता है।

-125-250 मिग्रा लौह भस्म के साथ 1-2 नग आंवले के चूर्ण का सेवन करने से पीलिया और एनीमिया में लाभ होता है।

यहां कुछ आंवला के फायदे जॉन्डिस के मरीजों के लिए हैं:

  1. पित्त को नियंत्रित करना: आंवला पित्त शोधक गुणों से भरपूर होता है, जिससे शरीर के पित्त को नियंत्रित करके जॉन्डिस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
  2. शक्ति और ऊर्जा की वर्धना: आंवला में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, और अन्य पोषण से भरपूर तत्व होते हैं जो शरीर को ताकत प्रदान कर सकते हैं, जिससे मरीज त्वरित रूप से ठीक हो सकते हैं।
  3. अपेटाइजिंग प्रभाव: आंवला का सेवन अपेटाइजिंग (भूख बढ़ाने) प्रभाव दिखा सकता है, जिससे मरीजों को उचित पोषण प्राप्त होता है और उनकी ताकत में सुधार हो सकती है।
  4. फाइबर से भरपूर: आंवला में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जिससे पाचन को सहारा मिलता है और मल निकालने में मदद करता है।
  5. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देना: आंवला अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देने में मदद कर सकता है, जिससे जॉन्डिस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
  6. हेपेटाइटिस के खिलाफ सुरक्षा: आंवला में मौजूद ऐंटीवायरल गुण जॉन्डिस के कारण हुई शरीर की स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है, खासकर हेपेटाइटिस रोगों के खिलाफ।

आंवला (Amla) के गोनोरिया में लाभ:

गोनोरिया एक संजीवनी लैकर संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से मूत्र और जनन तंतुओं को प्रभावित करती है। यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो नीसेरिया गोनोरहोए (Neisseria gonorrhoeae) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।  इस बीमारी में लिंग के अंदर घाव हो जाता है जिससे पस निकलता है। इसके लिए 2-5 ग्राम आंवला के चूर्ण को एक गिलास जल में मिला लें। इसे पिलाएं, और इसी जल से लिंग को धोएं। इससे सूजन और जलन शान्त होती है। इससे धीरे-धीरे घाव ठीक होता है और पीव आना बन्द हो जाता है। यह बीमारी अधिकतर युवा वर्ग को प्रभावित करती है और इससे गुप्तांगों, मूत्रमार्ग, गर्भाशय, गुदा और गलसुआइस क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

  1. जीवाणुनाशक गुण: आंवला में पाए जाने वाले जीवाणुनाशक गुण गोनोरिया के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकते हैं और संक्रमण को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
  2. शोथन प्रदान करना: आंवला में एंटीइन्फ्लैमेटरी गुण होते हैं जो शोथन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे सूजन और तकलीफ में आराम मिल सकता है।
  3. प्रतिरक्षा स्तर बढ़ाना: आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है, जो शरीर की प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ा सकता है और गोनोरिया के खिलाफ सुरक्षा में मदद कर सकता है।
  4. रक्त साफ़ करना: आंवला के रोगनाशक गुण रक्त को साफ़ करने में मदद कर सकते हैं, जिससे संक्रमण को कम करने में सहायक हो सकता है।
  5. ऊर्जा स्तर बढ़ाना: आंवला में पाए जाने वाले पोषण से भरपूर तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं, जिससे रोग से लड़ने की क्षमता में सुधार हो सकती है।
  6. प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स: आंवला में पाए जाने वाले प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स गुण से, यह शरीर को संक्रमण के खिलाफ स्वतंत्र रूप से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकता है।
  7. प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारना: आंवला शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे गोनोरिया जैसे संक्रमणों के खिलाफ सुरक्षा में सुधार हो सकता है।

आंवला (Amla) के स्पर्मटोरिया (Spermatorrhoea) में लाभ:

  1. विटामिन सी की भरपूर स्त्रोत: आंवला एक श्रेष्ठ विटामिन सी का स्रोत है, जो प्रजनन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्पर्म की संख्या और कुष्ठज गुण में सुधार करने में मदद कर सकता है।
  2. शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण: आंवला में मौजूद अनेक एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को कुपोषण, रद्दीद्रव्यता, और अन्य कीमीयाई प्रभावों से बचाने में सहायक हो सकते हैं, जो प्रजनन स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।
  3. हार्मोनल बैलेंस में मदद: आंवला में विभिन्न पोषण तत्व होते हैं जो हार्मोन स्तरों को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
  4. प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखना: आंवला में पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है जो शरीर को प्रजनन स्वास्थ्य की दृष्टि से मजबूती प्रदान कर सकते हैं।
  5. ऊर्जा स्तर में सुधार: आंवला शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है और ताकत में वृद्धि करके स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।
  6. मूत्रमार्ग स्वस्थता को सुनिश्चित करना: आंवला मूत्रमार्ग के स्वस्थता को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जो स्पर्म के परिस्थितियों को सुधार सकता है।
  7. स्त्री प्रजनन स्वास्थ्य का समर्थन: आंवला का सेवन पुरुषों के साथ ही स्त्री प्रजनन स्वास्थ्य को भी सुधार सकता है, और स्पर्म की संख्या और मोटाई में वृद्धि कर सकता है।

आंवला (Amla) के आर्थराइटिस से राहत प्राप्त करने के लाभ:

  1. एंटीऑक्सीडेंट गुणधर्म: आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को विषाणुओं के खिलाफ रक्षा करने में मदद कर सकते हैं, जिससे आर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।
  2. शरीर की ऊर्जा में सुधार: आंवला में पाए जाने वाले पोषण तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं, जिससे आर्थराइटिस के मर्ज से निपटने में मदद हो सकती है।
  3. अल्कालाइनिटी का संतुलन: आंवला शरीर की अल्कालाइनिटी को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे आर्थराइटिस की स्थिति में सुधार हो सकता है।
  4. शरीर की तंतुओं को सुधारना: आंवला में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की तंतुओं को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं, जिससे आर्थराइटिस के दर्द को कम करने में सहायक हो सकता है।
  5. सूजन को कम करना: आंवला में एंटी-इन्फ्लैमेटरी गुण हो सकते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं और आर्थराइटिस के दर्द को आराम पहुंचा सकता है।
  6. शरीर को पोषित रखना: आंवला शरीर को पोषण प्रदान करने में मदद कर सकता है, जिससे रोग से लड़ने की क्षमता में सुधार हो सकता है।
  7. मुक्ति प्रदान करना: आंवला के प्रयोग से आर्थराइटिस के मर्ज से पीड़ित व्यक्ति को दर्द में कमी और शारीरिक सुधार महसूस हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति कैटरैक्ट जैसी नेत्र समस्याओं से पीड़ित है, तो उन्हें पहले अपने चिकित्सक से संपर्क करना और उनकी सलाह लेना हमेशा सुरक्षित रहेगा।

Leave a Comment